Sunday 12 March 2017

पहाड़ की ऊंचाईया



शहर के शोर से दूर ,
आसमान के पास, ज़मीन से ऊपर ,
पत्तों से सरकती हववोंको छूकर ,
पहाड़ के कंधे से कन्धा मिलाकर,
आज कुछ नया महसूस हुआ है,
कुदरत ने मुझे खुद को मिलाया है .

इन पहाड़ की चोटियों से जिंदगी कितनी छोटीसी  लगाती है,
कल जो चुनौतियों को पर करना नामुमकिन लगताताथा,
आज इस उंचाईयोंसे धुंधलीसी दिखती है.

अच्छा हुआ मैंने चढ़ना सिख लिया ,
खुद की कमियों से लड़ना सिखलिया,
कोशिश न करता तोह उंचाईयों से आगे कभी देख न पाता,
ये कभी न जानपाता की , चुनौतियों को नज़रिया बदलने से बदला जा सकता है .

What life lessons do you learn from trekking?

2016 was tough year for me, i wanted to over come my weaknesses .challenge myself and do something which can genuinely make me happy. I ha...