शहर के शोर से दूर ,
आसमान के पास, ज़मीन से ऊपर ,
पत्तों से सरकती हववोंको छूकर ,
पहाड़ के कंधे से कन्धा मिलाकर,
आज कुछ नया महसूस हुआ है,
कुदरत ने मुझे खुद को मिलाया है .
इन पहाड़ की चोटियों से जिंदगी कितनी छोटीसी लगाती है,
कल जो चुनौतियों को पर करना नामुमकिन लगताताथा,
आज इस उंचाईयोंसे धुंधलीसी दिखती है.
अच्छा हुआ मैंने चढ़ना सिख लिया ,
खुद की कमियों से लड़ना सिखलिया,
कोशिश न करता तोह उंचाईयों से आगे कभी देख न पाता,
ये कभी न जानपाता की , चुनौतियों को नज़रिया बदलने से बदला जा सकता है .
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